Popular Posts

Sunday, December 21, 2008

akelapan..

ये मार्ग सीधा
उस पेड़ के निकट
जाता है..
पेड़ के तीन और
मोटे-पतले
लंबे-नाटे
मकान है. ...
वह पेड़
अकेला खड़ा है
मकानों के मध्य....
उस पेड़ के पत्ते
हरे नहीं...
लाल है..
सिंदूरी लाल..
उन पर सुनहरे फूल
खिले हुए हैं...
प्रतीत होता है .
जैसे....
आग का जलता गोला
झूल रहा है..
आकाश और ज़मीन
के बीच में..
पेड़ दर्शनीय है..
अनोखा है...
इस पर बरसों से
शोध
हो रहे हैं..
पेड़ का रहस्य...
रहस्य ही है
अब तक......
आज मैं उस
पेड़ के सामने
खड़ी थी....
देखा मैंने...
मेरे तन पे
लाल पत्तियाँ
उग आयीं हैं..
सुनहरे पुष्प
प्रस्फुटित हो
रहे हैं..
इस क्षण
पेड़ और मैं,
मैं और पेड़..
एक में हो गए हैं..
व्यथा ने व्यथा को
अंगीकार कर लिया है..
अकेलापन उसका और
मेरा कुछ क्षण
को ही सही..
सिमट तो गया है...