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Sunday, October 9, 2011

kavitaaaa

कविता का आधार...
अक्सर..
या कभी कभी..
आस पास
लिपटा हुआ भी...
प्यार ही होता
है...

उदास आंखें...
सहारा देती बाहें...
शक्सियत...
जुदाई मिलन...
खुद में एक
कविता है...

मैं आजतक
इन् सब के
बगैर..
जो भी लिखती
आई हूँ..
क्या वो
कविता
नहीं हैं?????

Monday, October 3, 2011

कच्चा वक़्त

कच्चा वक़्त -....
एक एक
काले अक्षरों को
नीला पीला
हरा से
रंगे हुए है...

अंधेरो में
खोये हैं अक्षर...
अक्षर ठन्डे
पानी में....
दूंदते हैं..
गर्माहट..
धुंआ होता हैं..
छुपा हुआ..

कच्चा वक़्त..
कालेपन से,
ठंडेपन से...
स्वयं को बचा
लेता ही है...कैसे भी...
(संभव सा...)

पका वक़्त-
सफ़ेद गरम
नहाया हुआ सा
अपने कृत्रिमता
से निर्लिप्त...
कितने
मुखोटो को
चिपकाये
आनंदित है...
(असंभव सा.....)