मरीचिका में बिचरने वाले दोनो ...
अकस्मात् दिख जाते हैं ..
पत्तों पर चमकती ओस की तरह ...
तिमिर में टिमटिमाते जुगनुओं की तरह ...
या ...
सन्नाटे में गूंजती झींगूर की आवाज़ की तरह ...
नरम स्पंदित ऊर्जा से भरपूर...
मधुर संगीत की लय पर थिरकते ...
नज़र आते है जिस वक्त ...
वो क्षण आहलादित कर देता है
मुझे ...
हृदय वास्तविकता की रेखाओं को लाँग
एक अबोध बालक सा
स्पर्श करने को व्याकुल रहता है ।।।
परछाईं को आलिंगन करने का असाधारण प्रयास ....
क्या हुआ है सफल ??
एक कोमल रसीला मनभावन एहसास है इश्क़
महक जिसकी धमनियो में प्रवाहित है ।।।
मरीचिका के क़रीब जाने पर
रेत के सिवा क्या दिखता है दूर दूर तक ।।।