जलती हुई आँखों पर
बर्फ की डली डाली
मैंने...
बड़ी बड़ी आँखें
तेरी डोल्फिन्स
हैं...
उछल के मेरे
सागर की
गहराई
नाप जाती है...
लहर दर लहर
पहचानती है
डोल्फिन्स मुझे...
रात है अभी..
लगा तुम
चाँद हो..
मैं उछल उछल
तुम्हारे करीब
आती हूँ..
बिना कारन
ज्वारभाटा होता नहीं है!!!
कई साल
हमारी राहें
संग थी...
तू भी
मेरे संग थी...
पर..
न प्रेम था..
न स्नेह था
न लगाव
शने:शने रिश्ते
आंच पर
पक रहे थे..
न तुम समझ
सकीं...
न मैं...
अब
ह्रदय में
घुमड़ते अत्यधिक
स्नेह
प्रेम
लगाव
का कोई कारन
बता सकती हो
बोलो??
गिरती हु जब,
ठोकर लगती है..
तुम्हारी हाथों
को खोजती
है ऑंखें..मेरी..
चमक जाती है..
हर बार तुम्हारे
हाथों को
पा के..
तुम्हारी डोल्फिन्स
भी..
मुझे ही खोजती है..
जब भी
दर्द में होती है...
इस बार..
एक पल के लिए
खो गयी मैं..
उसी पल
डोल्फिन्स
मुझे पुकार रही थीं...
अभी..
जलने लगी है..
बर्फ की डली
डाली
है मैंने...
बर्फ पिघला है...
सागर में मिला
है मेरे....
मेरी डोल्फिन्स
उछल
रहीं है....
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13 comments:
sagar ki ghani gahraii mein utar gayi aapki kavita ..
kuch marmik bhaav ..or kuch aise jinhen sirf likhne vala hi mehsoos kar sakta hai.
bandhaii swikaren ..aapka vyaktitav prabhavi hai.
bahut bahut dhanyawaad..aapka...
तुम्हारी डोल्फिन्स
भी..
मुझे ही खोजती है..
जब भी
दर्द में होती है..
DOLFINS.........BAHUT SUNDAR PRATEEK.
UMDA.
PARWEEN APA KI "AHWAL"{ YAAD HO AAYI .
AAP AISE HI LIKHTE RAHEN.
SATYA...A VAGRANT.
aapki pratikriya k liye shukriya satyaji....
अब
ह्रदय में
घुमड़ते अत्यधिक
स्नेह
प्रेम
लगाव
का कोई कारन
बता सकती हो
बोलो??
वाह बहुत सुंदर क्या अंदाज़ है डोल्फिन्स का ....
FIR AAYA PADHNE KO .
DOOSRI HI ANUBHUTI HUYI
BAHUT SUNDAR. UMDA
SATYA
ashutosh ji aapka asankhya dhanyawaad..aapke ye chand shabd mere lekhni me jivan fonk dete hai...
satya ji...aap dusri baar aaye meri kavita ki garima badh gayi...
aapki ye kavita lagaataar 3-4 baar padhi...............1 baar me man nahi maana.
itni khoobsoorta kavita dene ke liye bahut bahut dhanywaad.
Bahut khubsoorat !!
kshama chahti hoon..itne dinon bad aapko shukriya likh rahi hoon....shivanshji..aapki pratikriya padh k hardik khushi hui...
dhanyawaad ashokji..
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