कभी दोस्त ने कभी रकीब ने
जिसने भी देखा करीब से
दोहराया उसी पुराणी प्रथा को
ना समझा आज तक उस व्यथा को
हर लड़की मसलने वाली कलि नहीं
छाछ है कुछ सब दूध की जली नहीं
कह दिया सब मुझे है अब रोना नहीं
इंसान हूँ जिस्म का सिर्फ खिलौना नहीं!!!
जिसने भी देखा करीब से
दोहराया उसी पुराणी प्रथा को
ना समझा आज तक उस व्यथा को
हर लड़की मसलने वाली कलि नहीं
छाछ है कुछ सब दूध की जली नहीं
कह दिया सब मुझे है अब रोना नहीं
इंसान हूँ जिस्म का सिर्फ खिलौना नहीं!!!
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