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Sunday, March 20, 2011

नास्त्रेदमस

शब्द शब्द अँधेरा
कुचला हुआ सच...
कहीं मेहेकता हुआ..
डायरी का एक पन्ना...

एक पन्ने पर लिखा
सत्य
जिसे रौंध के
कभी स्वयं हंसी
थी...
अब वही..
शब्द शब्द
अंधकार में
नाच रहा है
तांडव नृत्य....

रिश्तों के दम
तोड़ने की भविष्यवाणी
करने वाली डायरी
क्या तुझे
नास्त्रेदमस लिखूं...

3 comments:

Unknown said...

behtreen zazbaat.......bilkul sadhi huee kavita....

शिवांश शर्मा said...

bahut khoob divya ji..........aapne fir se ek behtareen kavuta likhi hai.........

divya said...

dhanyawaad chetan ji awem shivansh ji...