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Sunday, April 6, 2008

विडम्बना

अनायास ही याद आया मुझे
आज मेरा जन्मदिन है..
४० का हो गया मैं..
५ दिन बाद.....
गुड्डू भी ३५ की हो जाएगी...

कल देखा था..
गुड्डू के सफ़ेद बालों को
डाई करना भूल गयी थी
अब इंतज़ार की सफेदी दिखने
लगी है!!

नीरस ज़िन्दगी की ऊब
प्रतिदिन निढाल करने लगी है...
पांच दिन की नौकरी
और सप्तांत एक ऐसे
लड़के के खोज में
बिता देना....
जो 'गहरी सांवली' मेरी
बहिन से ब्याह करे!!
१५ सालों से बिना
बाधा के यही क्रम
रोज़-रोज़.....

गुड्डू से मुझे कोई
संवेदना नहीं...
वह सच में एक
'बोझ' है..
जिसे समाज ने
मुझ पर थोपा है..

और यही समाज
ताने कसेगा अगर
'उसे घर में बिठाये'
मैंने शादी की..
क्या विडम्बना है!!

खीझ, घीन,आक्रोश
अन्दर से खाते है
जब भी उन
'वैरी फेयर' पसंद
करने वालो के पास
गिडगिडाना पड़ जाता
है...

उफ्फ्फ़....ये गुड्डू भाग
नहीं सकती किसी के साथ?
१५ साल पहले
गुड्डू भाग गयी होती..
तो.... तो.........
गुड्डू का कत्ल
मैंने ही किया होता!!

ह्म्म आज मेरा जन्मदिन है...
गुड्डू को कहना पड़ेगा
अपने बाल को डाई
कर ले.....

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