Popular Posts

Sunday, April 6, 2008

jeevan tu maun hai...

जीवन,तू मौन है
पर मैं सुनती हूँ
तुझे मौत से प्यार नहीं.........

धवल से वस्त्र धारण
कर टहलती है तू
मैं ही तुझ पर
रंगों के छीटें फेंकती
रहती हूँ
गुदगुदाती हूँ.....तब
तू हंसती है खिलखिलाती है,
जैसे सरिता का कल कल निनाद!

जीवन,तुने कितने चेहरे
धारण किये है.....
शायद अनगिनत.....
कुरूप,सुरूप,भयावह
सलोना.......
मैंने कभी तेरे चेहरे
के आकर को चूमा है
कभी दुत्कारा है
कभी लान्क्षित किया है....
पर तू सदेव तटस्थ रही है
न आवेग,ना अवहेलना
वक़्त के साथ तू
बस चलती रहती है,बस चलती रहती है
ठहरती है तू सिर्फ
मौत के गोद में
जिसको तुने कभी
प्यार नहीं किया.....

No comments: